इसके बाद आकर्षण जगा
आकाश की तरफ मुंह उठाकर
सितारों से बतियाने का
किसी भी पेड़ से पीठ टिका कर
पत्थरों के चिकने वक्ष सहलाने का,
उन्हें गीत सुनाने का
उनकी छाती पर सर रखकर सो जाने का।
सब की वासनाओं को स्वीकार करने का
घास फूस की तरह
सब को समर्पित हो जाने का।